सल्फोट्रैक (सल्फर 90%)

पौधों में वृद्धि का रूक जाना तथा पत्तो में हलके पीले रंग के दाग पड़ना सल्फर की कमी को दर्शाता है। सभी फसलों जैसे धान, कपास, गेंहूं, बाजरा, मक्का, सरसों, गन्ना, सोयाबीन, मिर्ची, बैंगन व सभी प्रकार की सब्जियों, दलहन व तिलहन फसलों पर सल्फोट्रैक का बखूबी प्रयोग किया जा सकता है।

उपयोग के फायदे:

1. फसलों में अधिक फुटाव में सहायक। 
2. फसलों में कीड़ो  तथा बीमारियों से बचाव के लिए अधि निरोधक क्षमता विकसित करना। 
3. अच्छी क्वालिटी व फसल की पैदावार में वृद्धि करना। 
4. मिट्टी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना  
5. फूलों तथा फलों को झड़ने  से रोकना। 
6. विष रहित, वातावरण के अनुकूल ।
सावधानियां एवं उपचार: नंगे हाथों से इस्तेमान करे , खाली पैकेट बची हुई सामग्रियों को ऐसे
सुरक्षित तरीके से नष्ट करे कि पर्यावरण या पानी प्रदूषित न हो। 
प्राथमिक उपचार: प्राथमिक उपचारयदि इसे निगल जाए, तो उल्टी करा लीजिए। यदि मरीज बेहोश हो ता ऐसा न करें। आँखों में चला जाए तो भरपूर पानी के छीटे देकर 5 मिनट तक आंखों को धोएं। प्रदूषित शरीर के हिस्से को साबुन और पानी से धो ले लक्षणों के अनुसार उपचार करें। बच्चों की पहुंच से दूर रखें। आग से दूर रखें। 

हेक्सा- 5 (हेक्सकोनाजोल 5% ई.सी.)

हेक्साकोनाजोल टेक्निकल (भरानुसार 92% स.त. पर आधारित) 5.50ः भार/भार
ईमल्सीफायर ए) स्टाइरिनेटडे फिनाइल इथिलीन 5.00ः भार/भार
ऑक्साइड कंडेंसेट
बी) डोडेसिल बेंजीन सल्फोनिक एसिड 5.00ः भार/भार
कैल्शियम साल्ट
घोलक (एरोमेक्स) 84.50ः भार/भार

योग 100.000ः भार/भार

उपयोग: इस कीटनाशक का उपयोग सेब के पामा, धान का सहसामारी, अंगमारी, मंगू फली का टिक्का,
आम का चूर्ण आसिता, सोयाबीन का गरूे आ, चाय का फफोला अंगमारी और अंगूर का चूर्ण आसिता
रोग की रोकथाम के लिए किया जाता है। 

उपयोग के लिए सावधानियां: 1. खाद्य सामग्री, खाद्य सामग्री के खाली बर्त त और पशुओं के चारे से दूर रखें।
2. मुंह, त्वचा और आंखों के सम्पर्क से बचाएं।
3. प्रयोग करते समय सांस द्वारा अन्दर जाने से बचाएं। हवा की दिशा में छिड़काव करें।
4. प्रयोग करने के बाद दूषित कपड़ों और शरीर के अंगों को अच्छी तरह धोएं।
5. प्रयोग करते समय धूम्रपान, खाना, पीना और कुछ चबाना नहीं चाहिए।
6. प्रयोग करते समय पूर्ण सुरक्षात्मक कपड़े पहनें।

विषनाशक: कोई विशिष्ट विषनाशक नहीं है। लक्षण अनुसार इलाज करं।

प्राथमिक उपचार: यदि इसे निगल जाए, तो गले के पीछे गुदगुदी करके उल्टी कराए। यह प्रक्रिया
तबतक करते रहे जब तक उल्टी द्वारा निकला पदार्थ साफ न हो जाए। यदि मरीज बेहोश हो ता ऐसा
न करे । आंखों में चला जाए तो भरपूर पानी के छिथे देकर 10-15 मिनट तक आंखों को धोएं। प्रदूषित
शरीर के हिस्से को साबुन और पानी से धो लें। सांस के द्वारा अन्दर गया हो तो रोगी को शुद्ध हवा में ले जाएं।
बच्चों की पहुंच से द ूर रखें। सूखी और ठण्डी जगह पर आग से दूर रखें।

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